kavita (माँ के लिए )
तेरी ममता की छाँव
में जाने कब बड़ा हुआ
काला टिका दुध -मलाई
आज भी सब वैसा है
मैं ही मैं हु हर जगह माँ
ये प्यार तेरा कैसा है
सीधा- साधा भोला -भला
मैं ही सबसे अच्छा हु
कितना भी हो जाऊ बड़ा
माँ मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ
माँ तू कितनी अच्छी है मेरा ,
सब कुछ करती है |
भूख मुझे जब लगती है ,
खाना मुझे खिलाती है |
जब मैं गन्दा हो जाता हूँ ,
रोज मुझे नहलाती है |
जब मैं रोने लग जाता हु ,
चुप मुझे तू करती है |
माँ मेरे मित्रों में सबसे ,
पहले तू ही आती है |
भगवान का दूसरा रूप है माँ ,
उनके लिए दे देंगे जा |
हमको मिलता जीवन उनसे ,
कदमों में है स्वर्ग बसा |
हमारी ख़ुशी में खुश हो जाती ,
दुःख में हमारे आशू भाती |
कितने खुशनसीब है हम ,
पास हमारे है माँ |
कोई दुआ असर नहीं करती ,
जब तक वह हमपर नजर नहीं करती |
हम उसकी खबर रखे न रखे ,
वो कभी हमे बेखबर नहीं करती |
मांगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है ,
माँ के पैरों में ही वह जन्नत होती है |
Short Hindi Poems
हर माँ के लिए खास कविता
ऊपर जिसका अंत नहीं
उसे आसमा कहते है
जहां में जिसका अंत
नहीं उसे माँ कहते है
घुटनों से रेंगते -रेंगते ,
कब पैरो पे खड़ा हुआ
कब पैरो पे खड़ा हुआ
तेरी ममता की छाँव
में जाने कब बड़ा हुआ
काला टिका दुध -मलाई
आज भी सब वैसा है
मैं ही मैं हु हर जगह माँ
ये प्यार तेरा कैसा है
सीधा- साधा भोला -भला
मैं ही सबसे अच्छा हु
कितना भी हो जाऊ बड़ा
माँ मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ
माँ तू कितनी अच्छी है मेरा ,
सब कुछ करती है |
भूख मुझे जब लगती है ,
खाना मुझे खिलाती है |
जब मैं गन्दा हो जाता हूँ ,
रोज मुझे नहलाती है |
जब मैं रोने लग जाता हु ,
चुप मुझे तू करती है |
माँ मेरे मित्रों में सबसे ,
पहले तू ही आती है |
भगवान का दूसरा रूप है माँ ,
उनके लिए दे देंगे जा |
हमको मिलता जीवन उनसे ,
कदमों में है स्वर्ग बसा |
हमारी ख़ुशी में खुश हो जाती ,
दुःख में हमारे आशू भाती |
कितने खुशनसीब है हम ,
पास हमारे है माँ |
कोई दुआ असर नहीं करती ,
जब तक वह हमपर नजर नहीं करती |
हम उसकी खबर रखे न रखे ,
वो कभी हमे बेखबर नहीं करती |
मांगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है ,
माँ के पैरों में ही वह जन्नत होती है |
संतान चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो जाये ,
माँ का आँचल कभी छोटा नहीं होता |
मांग लू यह मन्नत फिर यह जहां मिले ,
फिर वही गोद , फिर वही माँ मिले |
माँ से रिश्ता ऐसा बनाया जाये ,
जिसको निगाहो में बिठाया जाये |
रहे उससे मेरा रिस्ता कुछ ऐसे की ,
वह अगर उदास हो तो हमसे भी ,
मुस्कुराया न जाये
सुख दुःख की हमदम है माँ,
मेरे लिए खड़ी हरदम है माँ |
जख्म हो चाहे जितना गहरा ,
हर जख्म की मरहम है माँ |
कड़ी धुप की तपिश में भी ,
देती जो राहत वह सबनम है माँ ,
टूट भी जाऊ तो बिखरने नहीं देती ,
मेरा हौसला, मेरा हमदम है माँ |
मेरी खामोसिया भी पढ़ लेती ,
मेरी सच्ची मरहम है माँ |
बिन उसके नहीं कोई वजूद मेरा,
इस धरक्ते दिल की धरकन है माँ |
वह कहती है मुझे जान अपनी,
खुद ही मेरा जीवन है माँ|
लफ्जो में वह सहमति ही नहीं,
लफ्जो से बहुत ऊपर ,अनंत है माँ |
माँ का आँचल कभी छोटा नहीं होता |
मांग लू यह मन्नत फिर यह जहां मिले ,
फिर वही गोद , फिर वही माँ मिले |
माँ से रिश्ता ऐसा बनाया जाये ,
जिसको निगाहो में बिठाया जाये |
रहे उससे मेरा रिस्ता कुछ ऐसे की ,
वह अगर उदास हो तो हमसे भी ,
मुस्कुराया न जाये
सुख दुःख की हमदम है माँ,
मेरे लिए खड़ी हरदम है माँ |
जख्म हो चाहे जितना गहरा ,
हर जख्म की मरहम है माँ |
कड़ी धुप की तपिश में भी ,
देती जो राहत वह सबनम है माँ ,
टूट भी जाऊ तो बिखरने नहीं देती ,
मेरा हौसला, मेरा हमदम है माँ |
मेरी खामोसिया भी पढ़ लेती ,
मेरी सच्ची मरहम है माँ |
बिन उसके नहीं कोई वजूद मेरा,
इस धरक्ते दिल की धरकन है माँ |
वह कहती है मुझे जान अपनी,
खुद ही मेरा जीवन है माँ|
लफ्जो में वह सहमति ही नहीं,
लफ्जो से बहुत ऊपर ,अनंत है माँ |
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