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6/27/2019

kavita

                            kavita (माँ  के लिए )


                   Short Hindi Poems


हर माँ के लिए खास कविता 

                                                                  ऊपर जिसका अंत नहीं 
                                             उसे आसमा कहते है 
                                             
                                             जहां  में जिसका अंत 
                                              नहीं उसे माँ कहते है 



Short Hindi Poems / maa ke liye

घुटनों से रेंगते -रेंगते ,
कब पैरो  पे खड़ा  हुआ 

तेरी ममता की छाँव 
में जाने कब बड़ा हुआ

काला टिका दुध -मलाई  
आज भी सब वैसा है
मैं ही मैं हु हर जगह माँ
 ये प्यार तेरा कैसा है

सीधा- साधा  भोला -भला
 मैं ही सबसे अच्छा हु
कितना भी हो जाऊ बड़ा 
माँ मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ 



Short Hindi Poems / maa ke liye



माँ तू कितनी अच्छी है मेरा ,
सब कुछ करती है | 

भूख  मुझे जब लगती है ,
खाना मुझे खिलाती है | 

जब मैं गन्दा हो जाता हूँ ,
रोज मुझे नहलाती है | 

जब मैं रोने लग जाता हु ,
चुप मुझे तू करती है | 

माँ मेरे मित्रों में सबसे ,
पहले तू ही आती है | 


Short Hindi Poems / maa ke liye


भगवान का दूसरा रूप है माँ ,
उनके लिए दे देंगे जा | 

हमको मिलता जीवन उनसे ,
कदमों  में है स्वर्ग  बसा | 

हमारी ख़ुशी में खुश  हो जाती ,
दुःख  में हमारे  आशू  भाती | 

कितने खुशनसीब है हम ,
पास हमारे है माँ | 


Short Hindi Poems / maa ke liye

कोई दुआ असर नहीं करती ,
जब तक वह हमपर नजर नहीं करती | 

हम उसकी खबर रखे न रखे ,
वो कभी हमे बेखबर नहीं करती | 


Short Hindi Poems / maa ke liye


मांगने  पर  जहाँ  पूरी हर मन्नत  होती  है ,
माँ  के पैरों  में ही  वह जन्नत  होती  है | 



Short Hindi Poems / maa ke liye

       

संतान चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो जाये ,
माँ का  आँचल  कभी छोटा नहीं होता | 


Short Hindi Poems / maa ke liye


मांग लू यह मन्नत फिर यह जहां मिले ,
फिर वही गोद , फिर वही माँ मिले | 


Short Hindi Poems / maa ke liye


माँ से रिश्ता ऐसा बनाया जाये ,
जिसको निगाहो में बिठाया जाये | 

रहे उससे मेरा रिस्ता कुछ ऐसे की ,
वह अगर उदास हो तो हमसे भी , 
मुस्कुराया न जाये


Short Hindi Poems / maa ke liye


सुख दुःख की हमदम है माँ,
मेरे लिए खड़ी हरदम है माँ | 

जख्म हो चाहे जितना गहरा ,
हर जख्म की मरहम है माँ | 

कड़ी  धुप  की तपिश में भी ,
देती जो राहत वह सबनम है माँ ,

टूट भी जाऊ तो बिखरने नहीं देती ,
मेरा हौसला, मेरा हमदम है माँ | 

मेरी खामोसिया भी पढ़ लेती ,
मेरी सच्ची मरहम है माँ | 

बिन उसके नहीं कोई वजूद मेरा,
इस धरक्ते दिल की धरकन है माँ | 

वह कहती है मुझे जान अपनी,
खुद ही मेरा जीवन है माँ| 

लफ्जो में वह  सहमति ही नहीं,
लफ्जो से बहुत ऊपर ,अनंत है माँ |  


Short Hindi Poems / maa ke liye



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