Motivational Stories
१ ) परिस्थितियों से समझौता
दोस्तों आज हम एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसको पढ़ने के बाद आपको ज्ञात होगा की हमे अपने परिस्थितियों का कैसे सामना करना चहिये न की उस परिस्थिति से समझौता करना चहिये |
एक समय की बात है एक कक्षा में एक अध्यापक कुछ बच्चों को समझा रहे थे की हमे समय रहते अपनी रक्षा करनी चहिये |
अध्यापक ने एक बर्तन में पानी भर कर लाया और उसमे एक मेढ़क को उस पानी में छोर दिया मेढक उस पानी में आनंद से खेलने लगा | कुछ समय बीतने के बाद अध्यापक ने उस पानी को गर्म किया |
जब पानी गर्म हुआ तो मेढक ने उस गर्म पानी के अनुशार अपने आप को ढल लिया |
कुछ समय बीतने के बाद फिर से अध्यापक ने उस पानी को गर्म किया लेकिन उस मेढक ने फिर से गर्म पानी के तापमान में अपने आप को ढाल लिया | उस मेढक ने अपने आप को उस गर्म निकालने पानी से निकलने की कोशिश नहीं की बल्कि जैसे -जैसे पानी गर्म होते गया मेढक पानी के बढ़ते तापमान के अनुशार अपने आप को ढाल लेता |
मेढक की शरीर की संरचना यानि बनावट ऐसी होती है की वह की तापमान कैसी भी हो वह अपने आप को उस तापमान के अनुशार ढाल लेता है | अध्यापक ने पानी गर्म करने की इस क्रिया को तीन चार बार और किया लेकिन मेढक ने फिर से अपने आप को ढाल लिया |
अतः अंत में एक समय ऐसा आया जब मेढक को उस पानी का तापमान नहीं सहा जा सका और मेढक उसी ड्रम पानी में अपना दम तोर दिया |
मेढक की मौत का कारण अद्यापक या गर्म पानी नहीं था बल्कि ओह मेढक खुद था | अगर जब पहली बार पानी गर्म हुआ उसी समय मेढक उस पानी से उछल जाता तो ओह आज जिन्दा रहता लेकिन मेढक ने अपनी
सारी सकती का उपयोग गर्म पानी में अर्जेस्ट करने में लगा दी |
लेकिन जब उस पानी का तापमान ओह नहीं सह सका और निकलने की कोशिश की तब तक उसकी सारी
सक्ति ख़त्म हो चुकी थी जिस कारण ओह पानी से छलांग नहीं लगा सका |
इसी प्रकार हमारे जीवन में भी कइ प्रकार की परेशानिया आती है और अगर हम उस परिस्थिति में अर्जेस्ट करने लगे तो हम उस परिस्थिति से कभी नहीं निकल पाएंगे और हमारा समय खत्म हो जाएगा अतः अंत में हमे पछताना पर सकता है अतः समय रहते हमे उस परिस्थिति से निकलने का उपाय खोज लेना चाहिए और
अपने भविष्य को बचना चाहिए |
इस कहानी से हमे यह पता चलता है की हर समस्या का हल परिस्थितियों से समझौता करना है |
कुछ समय बीतने के बाद फिर से अध्यापक ने उस पानी को गर्म किया लेकिन उस मेढक ने फिर से गर्म पानी के तापमान में अपने आप को ढाल लिया | उस मेढक ने अपने आप को उस गर्म निकालने पानी से निकलने की कोशिश नहीं की बल्कि जैसे -जैसे पानी गर्म होते गया मेढक पानी के बढ़ते तापमान के अनुशार अपने आप को ढाल लेता |
मेढक की शरीर की संरचना यानि बनावट ऐसी होती है की वह की तापमान कैसी भी हो वह अपने आप को उस तापमान के अनुशार ढाल लेता है | अध्यापक ने पानी गर्म करने की इस क्रिया को तीन चार बार और किया लेकिन मेढक ने फिर से अपने आप को ढाल लिया |
अतः अंत में एक समय ऐसा आया जब मेढक को उस पानी का तापमान नहीं सहा जा सका और मेढक उसी ड्रम पानी में अपना दम तोर दिया |
मेढक की मौत का कारण अद्यापक या गर्म पानी नहीं था बल्कि ओह मेढक खुद था | अगर जब पहली बार पानी गर्म हुआ उसी समय मेढक उस पानी से उछल जाता तो ओह आज जिन्दा रहता लेकिन मेढक ने अपनी
सारी सकती का उपयोग गर्म पानी में अर्जेस्ट करने में लगा दी |
लेकिन जब उस पानी का तापमान ओह नहीं सह सका और निकलने की कोशिश की तब तक उसकी सारी
सक्ति ख़त्म हो चुकी थी जिस कारण ओह पानी से छलांग नहीं लगा सका |
इसी प्रकार हमारे जीवन में भी कइ प्रकार की परेशानिया आती है और अगर हम उस परिस्थिति में अर्जेस्ट करने लगे तो हम उस परिस्थिति से कभी नहीं निकल पाएंगे और हमारा समय खत्म हो जाएगा अतः अंत में हमे पछताना पर सकता है अतः समय रहते हमे उस परिस्थिति से निकलने का उपाय खोज लेना चाहिए और
अपने भविष्य को बचना चाहिए |
इस कहानी से हमे यह पता चलता है की हर समस्या का हल परिस्थितियों से समझौता करना है |
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