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5/21/2019

a small story in hindi /shek chilli शेक चिल्ली चले लकड़िया काटने



शेक चिल्ली चले लकड़िया काटने

शेक चिल्ली चले लकड़िया काटने






एक दिन उसने ससुर से कहा- मैं कोई कारोबार करना चाहता हूँ। मुझे एक गाडी बनवा दीजिये।

दिन में लकडियाँ काटूंगा और गाडी में लाद कर बाजार में बेचूंगा। ससुर ने एक बैलगाड़ी बनवा दी। शेक्चिल्ली ने जंगल से लकडियाँ लाने के लिये बैलगाड़ी जोती, बैलगाड़ी लेकर वह चला तो कुछ आगे जाकर गाडी जंगल में चर्र चूं चर्र चूं की आवाज करने लगी। शेख्चिली ने सोचा-यह मेरे कारोबार का पहला दिन है और यह गाडी साली अपशकुन कर रही है। आरे की मदद से गाडी को काटकर टुकडे-टुकडे कर दिया तथा उसे वहीं फैंक-फांक कर आगे लकड़ी काटने चल दिया।


शेखचिल्ली एक मोटा पेड़ देखकर उसी पर चढ़ गया। एक बहुए ही मोती डाल पर जा बैठा और कुल्हाड़ी से काटकर जब थक गया तो आरा हाथ में उठाकर उसी से उसने उस डाल को काटना शुरू किया। इतने में एक आदमी नीचे गुजरा। उसने जब शेखचिल्ली को डाल काटते देखा तो ठहर गया।

गौर से देखने पर उसको मालूम हुआ कि शेख्चिल्ले उसी डाल को डाट रहा था जिस पर कि वह बैठा हुआ है। उसने कहा-अरे मूर्ख तू जिस डाल पर बैठा है उसी को काट रहा है। इस तरह तू डाल के साथ-साथ खुद भी नीचे गिर जाएगा।


शेखचिल्ली ने कहा-अरे जा जा मैं भला जमीन पर कैसे गिर सकता हूँ। वह आदमी वहीं तहर गया। थोड़ी देर में डाल कट गई और डाल के साथ-साथ शेखचिल्ली भी नीचे आ गिरा।


तब शेखचिल्ली उसको कहने लगा-आप तो बहुत बड़े आदमी मालूम होते हैं। मुझे यह तो बताइये कि मैं कब मरूँगा?
इस पर उस आदमी ने कहा-मैं यह सब नहीं जानता मगर शेखचिल्ली कहाँ छोड़ने वाला था। उसने उसका पीछा पकड़ लिया तो उसने छुड़ाने के लिये कहा-तू आज शाम को मर जाएगा।



यह कहकर वह आदमी तो चला गया। अब शेखचिल्ली ने सोचा कि मुझे आज शाम को मर ही जाना है तो अच्छा है कि पहले से ही कब्र के अंदर लेट जाऊं ताकि मेरे मरने के बाद मेरे रिश्तेदारों को कब्र खोदनी न पड़े।
ऐसा सोचकर वह उसी जंगल में एक गड्ढा खोदकर उसमें लेट रहा।

उसी तरफ से एक आदमी जा रहा था। उसके पास एक मटका था। वह आवाज लगाता जा रहा था कि अगर कोई इस मटके को मेरे घर तक पहुंचा दे तो मैं उसे दो पैसे दूंगा। यह सुनकर शेखचिल्ली झटपट कब्र के अंदर से उठकर खडा हुआ और कहने लगा-लाओ मैं तुम्हारा मटका ले चलता हूँ।


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यह सुनकर उस आदमी ने वह मटका शेखचिल्ली के हवाले किया। शेखचिल्ली उसे लेकर चल पडा। रास्ते में यह सोचता जा रहा था कि मुझे उसकी मजदूरी के दो पैसे मिलेंगे। दो पैसे का एक अंडा खरीदूंगा उसे अंडे से मुर्गी पैदा होगी। उस एक मुर्गी से बहुत सी मुर्गियां पैदा होंगी। उन मुर्गियों को बेचकर एक बकरी खरीद लूंगा।

बकरी से बहुत सी बकरियां होंगी उन बकरियों को बेचकर एक गाय खरीदूंगा। उस गाय से बहुत सी गायें पैदा होंगी। उन्हें बेचकर घोडी से बहुत सी घोड़ियाँ पैदा होंगी। उन सबको बेचकर बहुत से रूपये मिलेंगे। तब मैं अपना मकान बनाऊंगा। फिर एक घोड़े पर बैठकर बाजार में सैर करने निकालूँगा। फिर कारोबार करके बहुत सी दौलत पैदा करूंगा।

फिर घर में ठाठ से शाम को बैठक में हुक्का गुद्गुदौंगा, औरत बच्चों को मेरे पास खाना खाने के लिये भेजेगी। उस वक्त मैं हुक्का गुडगुडाते हुए जोरों से सिर हिलाकर कहूंगा-अभी खाना नहीं खाउंगा।


शेखचिल्ली ने ज्योंही अपने ख्यालों में जोरों से सिर हिलाया कि वह मटका सिर पर से गिरकर फूट गया और अंदर का सारा सामान मिट्टी में गिरकर खराब हो गया। इस अपर उस आदमी ने शेखचिल्ली की अच्छी खासी मरम्मत की। शेखचिल्ली का सपना टूट गया।

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